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झारखंड में छात्रवृत्ति घोटालाः फर्जी छात्रों के नाम पर बैंक खातों से 23 करोड़ का घालमेल - झारखंड मदरसा न्यूज

घोटालों के लिए सुर्खियों में रहे झारखंड में एक बार फिर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है. इस बार छात्रों के हक पर डाका डाला गया है. केंद्र सरकार ने छात्रवृत्ति देने के लिए राज्य सरकार को 61 करोड़ रुपये दिए थे, जिसमें लगभग 23 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया है

scholarship scam in jharkhand
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Published : Nov 2, 2020, 2:38 PM IST

Updated : Nov 2, 2020, 6:38 PM IST

रांची: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1985 में भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार एक रुपया भेजती है तो लोगों के पास 15 पैसे पहुंचते हैं. झारखंड इस मामले में कई कदम आगे निकल चुका है. छात्रवृत्ति के लिए भेजी गई रकम से 23 करोड़ रुपए छात्रों के बजाए दूसरों के बैंक खातों के जरिए डकार लिए गए. घोटालों के लिए सुर्खियों में रहे झारखंड में एक बार फिर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है. इस बार छात्रों के हक पर डाका डाला गया है. केंद्र सरकार ने छात्रवृत्ति देने के लिए राज्य सरकार को 61 करोड़ रुपये दिए थे, जिसमें लगभग 23 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया है. पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल में हुए इस घोटाले का खुलासा एक निजी अंग्रेजी अखबार ने किया है.

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रामगढ़ः इस मदरसे में फर्जीवाड़े का आरोप

परत दर परत पड़ताल

रामगढ़ जिले में दुलमी प्रखंड के बोंगासौरी गांव के एक सरकारी अनुदान प्राप्त मदरसे में सबसे पहले फर्जीवाड़े का पता चला था. मीडिया रिपोर्ट में रामगढ़ के जिस मदरसा फैजुल बारी में फर्जीवाड़े की बात कही गई, जब ईटीवी भारत की टीम वहां पहुंची तो चारों ओर बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी थी. स्थानीय लोगों के अनुसार मदरसा लॉकडाउन के समय से बंद है. छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़े की आशंका को लेकर अंजुमन कमेटी ने रामगढ़ डीसी को आवेदन देकर मामले की जांच की मांग की थी. अंजुमन कमेटी ने डीसी को लिखा था कि वित्तीय वर्ष 2019- 20 के दौरान मदरसा में महिलाओं और पुरुषों को सातवीं-आठवीं का स्टूडेंट बताकर छात्रवृत्ति दे दी गई है. इस पूरे मामले में जब हमने जिला कल्याण पदाधिकारी रामेश्वर चौधरी से बात की तो उन्होंने बताया कि उपायुक्त के निर्देश पर 3 सदस्यीय टीम मामले की जांच कर रही है. प्रथम दृष्टया किसी फर्जीवाड़े का साफ पता नहीं चला है लेकिन जांच प्रक्रिया चल रही है.

ये भी पढ़ें-सरकार गिराने और बनाने का षडयंत्र रचने वालों के खिलाफ होगी कानूनी कार्रवाई: कांग्रेस

कारण बताओ नोटिस जारी

जिन स्कूलों के फर्जीवाड़े की बात सामने आई है, उनके संचालक पशोपेश में हैं. धनबाद में करीब पांच निजी स्कूलों से अल्पसंख्यक छात्रों के छात्रवृत्ति देने का नाम पर फर्जीवाड़ा का पता चला है. ईडन स्कूल गोविंदपुर,मॉडर्न पब्लिक स्कूल चिरकुंडा, संत जेवियर्स मिशन स्कूल बरवाअड्डा और कर्नल पब्लिक स्कूल बाघमारा के संचालकों ने अधिकारियों से एसीबी जांच की मांग की है. संचालकों ने बताया कि वैसे छात्र जिनका स्कूल में कभी दाखिला ही नहीं हुआ, वैसे कई छात्रों के नाम पर 10 से 12 हजार रुपए की छात्रवृत्ति ली गई है. धनबाद के जिला कल्याण पदाधिकारी दयानंद दुबे ने राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का काम देखने वाले दो कर्मचारियों को शोकॉज नोटिस जारी किया है. दयानंद दुबे ईटीवी भारत को बताया कि जल्द ही पूरे मामले का पर्दाफाश हो जाएगा.

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धनबादः घोटाले की जांच की मांग

अब भी सक्रिय है फर्जीवाड़ा गिरोह

हद तो तब हो गई जब वित्तीय वर्ष 2020-21 में भी छात्रवृति फर्जीवाड़ा की कोशिश की जा रही थी. यह मामला संत जेवियर्स पब्लिक स्कूल बरवाअड्डा का है. इस स्कूल में मात्र 6 छात्रों का ही एडमिशन का अपडेट पोर्टल पर अपलोड किया गया था. प्रिंसिपल घनश्याम साव ने जब अन्य छात्रों की जानकारी अपलोड करना चाहा तो पासवर्ड फेल हो गया. उन्होंने जब जिला कल्याण पदाधिकारी से संपर्क किया तो पता चला कि उनके मोबाइल नंबर को हटाकर किसी दूसरे का मोबाइल नंबर डाल दिया गया है. मोबाइल नंबर सही करवान के बाद घनश्याम ने जब लॉगिन किया तो देखा कि कुल 341 छात्रों का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है.

कैसे हुआ छात्रवृत्ति घोटाला

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फर्जीवाड़ा करनेवाला गिरोह अल्पसंख्यक समुदाय के जरूरतमंद लोगों की तलाश करता है और उन्हें सऊदी अरब से मदद दिलाने के नाम पर आधार कार्ड और बैंक खाते की जानकारी लेता है. इसके बाद राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल में स्कूल की मिलीभगत से छात्रवृत्ति के लिए आवेदन जमा किया जाता है. बैंक खाते में छात्रवृत्ति की रकम आने पर गिरोह के लोग कुछ रुपए बैंक खाते के मालिक को देते हैं और बाकी रुपए खुद हजम कर जाते हैं.

मुख्य सचिव को जांच की जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका में अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि छात्रों के लिए साल 2019-20 में केंद्र ने झारखंड सरकार को 61 करोड़ रुपये दिए थे. इसमें लगभग 23 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया है. उन्होंने ये भी कहा कि झारखंड में तब भाजपा की सरकार थी और रघुवर दास मुख्यमंत्री थे. यह मामला कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है और उस वक्त लुईस मरांडी कल्याण मंत्री थीं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि वह बदले की भावना से राजनीति करने में यकीन नहीं रखते लेकिन इस घोटाले की जांच करवाई जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. हेमंत सोरेन ने मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को इस घोटाले की जांच की जिम्मेदारी दी है.

सुनिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने क्या कहा

ये भी पढ़ें-दीपक प्रकाश ने सरकार को दी चुनौती, कहा-दम है तो राजद्रोह के आरोप में करें गिरफ्तार

लुईस मरांडी ने साधी चुप्पी

कल्याण विभाग के अंतर्गत हुए इस फर्जीवाड़े के दौरान लुईस मरांडी मंत्री थीं. लुईस मरांडी फिलहाल दुमका विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की प्रत्याशी हैं. ईटीवी भारत ने जब इस मामले पर लुईस मरांडी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया. चुनावी पंडितों के अनुसार मतदान के ऐन पहले घोटाले के खुलासे से राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकता है इसलिए उन्होंने चुप्पी साध रखी है.

राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल क्या है?

राष्ट्रीय-ई गवर्नेंस योजना के तहत लॉन्च राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल 50 अलग -अलग छात्रवृतियों के लिए एक मंच के तौर पर काम करता है. इसके जरिए केंद्र सरकार गरीब परिवार के बच्चों की पढ़ाई के लिए छात्रवृति देती है. ये पोर्टल छात्रवृत्ति के आवेदन और उसके निष्पादन को सरल और पारदर्शी बनाता है. इसका उद्देश्य छात्रवृत्ति की राशि को बिना किसी बाधा के सीधे छात्रों के बैंक खाते में भेजना है.

रांची: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1985 में भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार एक रुपया भेजती है तो लोगों के पास 15 पैसे पहुंचते हैं. झारखंड इस मामले में कई कदम आगे निकल चुका है. छात्रवृत्ति के लिए भेजी गई रकम से 23 करोड़ रुपए छात्रों के बजाए दूसरों के बैंक खातों के जरिए डकार लिए गए. घोटालों के लिए सुर्खियों में रहे झारखंड में एक बार फिर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है. इस बार छात्रों के हक पर डाका डाला गया है. केंद्र सरकार ने छात्रवृत्ति देने के लिए राज्य सरकार को 61 करोड़ रुपये दिए थे, जिसमें लगभग 23 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया है. पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल में हुए इस घोटाले का खुलासा एक निजी अंग्रेजी अखबार ने किया है.

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रामगढ़ः इस मदरसे में फर्जीवाड़े का आरोप

परत दर परत पड़ताल

रामगढ़ जिले में दुलमी प्रखंड के बोंगासौरी गांव के एक सरकारी अनुदान प्राप्त मदरसे में सबसे पहले फर्जीवाड़े का पता चला था. मीडिया रिपोर्ट में रामगढ़ के जिस मदरसा फैजुल बारी में फर्जीवाड़े की बात कही गई, जब ईटीवी भारत की टीम वहां पहुंची तो चारों ओर बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी थी. स्थानीय लोगों के अनुसार मदरसा लॉकडाउन के समय से बंद है. छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़े की आशंका को लेकर अंजुमन कमेटी ने रामगढ़ डीसी को आवेदन देकर मामले की जांच की मांग की थी. अंजुमन कमेटी ने डीसी को लिखा था कि वित्तीय वर्ष 2019- 20 के दौरान मदरसा में महिलाओं और पुरुषों को सातवीं-आठवीं का स्टूडेंट बताकर छात्रवृत्ति दे दी गई है. इस पूरे मामले में जब हमने जिला कल्याण पदाधिकारी रामेश्वर चौधरी से बात की तो उन्होंने बताया कि उपायुक्त के निर्देश पर 3 सदस्यीय टीम मामले की जांच कर रही है. प्रथम दृष्टया किसी फर्जीवाड़े का साफ पता नहीं चला है लेकिन जांच प्रक्रिया चल रही है.

ये भी पढ़ें-सरकार गिराने और बनाने का षडयंत्र रचने वालों के खिलाफ होगी कानूनी कार्रवाई: कांग्रेस

कारण बताओ नोटिस जारी

जिन स्कूलों के फर्जीवाड़े की बात सामने आई है, उनके संचालक पशोपेश में हैं. धनबाद में करीब पांच निजी स्कूलों से अल्पसंख्यक छात्रों के छात्रवृत्ति देने का नाम पर फर्जीवाड़ा का पता चला है. ईडन स्कूल गोविंदपुर,मॉडर्न पब्लिक स्कूल चिरकुंडा, संत जेवियर्स मिशन स्कूल बरवाअड्डा और कर्नल पब्लिक स्कूल बाघमारा के संचालकों ने अधिकारियों से एसीबी जांच की मांग की है. संचालकों ने बताया कि वैसे छात्र जिनका स्कूल में कभी दाखिला ही नहीं हुआ, वैसे कई छात्रों के नाम पर 10 से 12 हजार रुपए की छात्रवृत्ति ली गई है. धनबाद के जिला कल्याण पदाधिकारी दयानंद दुबे ने राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का काम देखने वाले दो कर्मचारियों को शोकॉज नोटिस जारी किया है. दयानंद दुबे ईटीवी भारत को बताया कि जल्द ही पूरे मामले का पर्दाफाश हो जाएगा.

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धनबादः घोटाले की जांच की मांग

अब भी सक्रिय है फर्जीवाड़ा गिरोह

हद तो तब हो गई जब वित्तीय वर्ष 2020-21 में भी छात्रवृति फर्जीवाड़ा की कोशिश की जा रही थी. यह मामला संत जेवियर्स पब्लिक स्कूल बरवाअड्डा का है. इस स्कूल में मात्र 6 छात्रों का ही एडमिशन का अपडेट पोर्टल पर अपलोड किया गया था. प्रिंसिपल घनश्याम साव ने जब अन्य छात्रों की जानकारी अपलोड करना चाहा तो पासवर्ड फेल हो गया. उन्होंने जब जिला कल्याण पदाधिकारी से संपर्क किया तो पता चला कि उनके मोबाइल नंबर को हटाकर किसी दूसरे का मोबाइल नंबर डाल दिया गया है. मोबाइल नंबर सही करवान के बाद घनश्याम ने जब लॉगिन किया तो देखा कि कुल 341 छात्रों का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है.

कैसे हुआ छात्रवृत्ति घोटाला

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फर्जीवाड़ा करनेवाला गिरोह अल्पसंख्यक समुदाय के जरूरतमंद लोगों की तलाश करता है और उन्हें सऊदी अरब से मदद दिलाने के नाम पर आधार कार्ड और बैंक खाते की जानकारी लेता है. इसके बाद राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल में स्कूल की मिलीभगत से छात्रवृत्ति के लिए आवेदन जमा किया जाता है. बैंक खाते में छात्रवृत्ति की रकम आने पर गिरोह के लोग कुछ रुपए बैंक खाते के मालिक को देते हैं और बाकी रुपए खुद हजम कर जाते हैं.

मुख्य सचिव को जांच की जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका में अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि छात्रों के लिए साल 2019-20 में केंद्र ने झारखंड सरकार को 61 करोड़ रुपये दिए थे. इसमें लगभग 23 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया है. उन्होंने ये भी कहा कि झारखंड में तब भाजपा की सरकार थी और रघुवर दास मुख्यमंत्री थे. यह मामला कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है और उस वक्त लुईस मरांडी कल्याण मंत्री थीं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि वह बदले की भावना से राजनीति करने में यकीन नहीं रखते लेकिन इस घोटाले की जांच करवाई जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. हेमंत सोरेन ने मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को इस घोटाले की जांच की जिम्मेदारी दी है.

सुनिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने क्या कहा

ये भी पढ़ें-दीपक प्रकाश ने सरकार को दी चुनौती, कहा-दम है तो राजद्रोह के आरोप में करें गिरफ्तार

लुईस मरांडी ने साधी चुप्पी

कल्याण विभाग के अंतर्गत हुए इस फर्जीवाड़े के दौरान लुईस मरांडी मंत्री थीं. लुईस मरांडी फिलहाल दुमका विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की प्रत्याशी हैं. ईटीवी भारत ने जब इस मामले पर लुईस मरांडी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया. चुनावी पंडितों के अनुसार मतदान के ऐन पहले घोटाले के खुलासे से राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकता है इसलिए उन्होंने चुप्पी साध रखी है.

राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल क्या है?

राष्ट्रीय-ई गवर्नेंस योजना के तहत लॉन्च राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल 50 अलग -अलग छात्रवृतियों के लिए एक मंच के तौर पर काम करता है. इसके जरिए केंद्र सरकार गरीब परिवार के बच्चों की पढ़ाई के लिए छात्रवृति देती है. ये पोर्टल छात्रवृत्ति के आवेदन और उसके निष्पादन को सरल और पारदर्शी बनाता है. इसका उद्देश्य छात्रवृत्ति की राशि को बिना किसी बाधा के सीधे छात्रों के बैंक खाते में भेजना है.

Last Updated : Nov 2, 2020, 6:38 PM IST
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